पर्यावरणवाइल्ड लाइफ

पेड़ों के कटान से उजड़ते पक्षियों के ठिकाने, नारियल का खाली खोल दे सकता है चिड़ियों को घर।

आम के आम गुठलियों के दाम, नारियल से बनायें बेघर चिड़ियों के आशियाने।

आज के दौर में इंसान विकास के नाम पर आए दिन प्रकृति से छेड़छाड़ करने में लगा है, सड़कों का निर्माण हो या कोई नई आवास योजना, वो पेड़ों पर कुल्हाड़ा या आरा चलाने में ज़रा सी भी हिचकिचाहट महसूस नहीं कर रहा है। उधर पेड़ों का अत्यधिक कटान होने से लगातार पक्षियों के आशियानें उजड़ रहे हैं। जिसके चलते चिड़ियों के आश्रय स्थल, यानि उनके घोंसले खत्म होने की कगार पर हैं। वहीं आसमान से बरसती आग के कारण हो रही भीषण गर्मी की वजह से इंसान तो इंसान, पशु पक्षियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपको याद होगा, एक दो दशक पूर्व जब गर्मी आती थी तो बच्चे घूमने के लिए नानी के घर जाते थे, पर आजकल वे घूमने के लिए हिल्स स्टेशन या कहीं ठंडी जगह जाते है। लेकिन वहां पर आज उन्हें या तो भीड़ भाड़ मिलती हैं या फिर तपते पहाड़।
मानव समाज आज अपने जीवन को औऱ अधिक बेहतर बनाने के लिए लगातार पेड़ों का कटान कर रहा है, और ऐशों आराम की जिंदगी जीने के लिए जगह जगह कंक्रीट के जंगल और कॉलोनियां खड़ी करता जा रहा है, जिसके चलते पक्षियों के रैन बसेरे और उनके घोंसले तबाह हो रहे हैं। अगर हम अपने लिए अच्छा रहन सहन और अच्छा खादय पदार्थ चाहते हैं तो हमें बदलना होगा। जिसके लिए हम कम से कम एक मिट्टी के बर्तन में पानी और रोटी के कुछ टुकड़े घर की छत या बाहर आंगन के किसी कोने में रख सकते है। जिससे इन बेजुबान पक्षियों को भर पेट भोजन और पानी मिल सके, इससे बढ़िया और क्या होगा। आज हम कहीं भी जाते हैं तो एक बात हमें हर जगह ध्यान करायी जाती है कि “आप कैमरे की नजर में हैं” लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि “हम भगवान की नजर में है” अगर हम यही बात ध्यान में रखकर बेजुबान पशु पक्षियों के लिए कुछ काम करें, तो शायद हमारे जाने अनजाने पापों में भी कमी हो जाए।
आप और हम सभी जानते हैं कि नारियल का पानी भारत के लगभग सभी हिस्सों में पिया जाता है। और अगर समाजसेवी संस्थाएं या व्यक्तिगत रूप से हम पहल करें तो, नारियल पानी को पीकर इसके खाली खोल से चिड़ियों के घोंसले बनाकर या बनवाकर आसपास के पेड़ों और घरों पर टांग दें, तो इन बेजुबान पक्षियों को आश्रय मिल जाएगा, और हम बिना किसी अतिरिक्त लागत के यह परोपकारी कार्य भी काफी वृहद स्तर पर कर सकते हैं। कहते हैं ना कि आम के आम गुठलियों के दाम.. शायद यह कहावत भी यहां सिद्ध हो सकती है।
यकीन मानिए., यह आइडिया भी बहुत अच्छा रहेगा, यदि आप नारियल पानी बेचने वाले को खाली नारियल के इस तरह से घोंसले बनाकर देने के 5 रुपए एक्स्ट्रा भी देते हो, तो कुछ ही रुपयों में यह बेशकीमती घोंसला बनकर तैयार हो सकता है, जिसे आप अपने घर के बाहर पेड़, आंगन या छत पर लगा कर बेघर होते पक्षियों को कुछ राहत अवश्य पहुंचा सकते हैं।
क्योंकि जब आज गर्मी का पारा 48 से 50℃ को छूने लगा है, और इंसान अपने घर से बाहर निकलने में खतरा महसूस कर रहा है, तो इन बेजुबान पशु पक्षियों का क्या हाल होगा.? इस बात पर आप कभी विचार अवश्य कीजिए, क्योंकि इस चिलचिलाती भीषण गर्मी के प्रकोप से जब मानव भी नहीं बच पा रहा है, तो बिना घर के इन बेचारे और बेसहारा पशु पक्षियों पर क्या गुजर रही होगी।

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